मिलिए आज के मेहमान 'कीवी क्वीन सीता देवी' से, जो कीवी की खेती से कमाती है लाखों रुपए और महिलाओ के लिए है प्रेरणास्रोत

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Kiwi Queen Sita Devi – अगर कोई व्यक्ति किसी चीज को पाने की हिम्मत रखता है, तो चाहे रास्ता कितना ही मुश्किल क्यों न हो, वह अपनी मंज़िल पाकर रहता है। यह कहावत सिर्फ़ किताबों में अच्छी नहीं लगती है, बल्कि कुछ लोग अपने हौंसलों के दम पर इसे सच्चाई में बदलने की ताकत भी रखते हैं।ऐसा ही कमाल कर दिखाया है उत्तराखंड में रहने वाली एक वाली एक महिला किसान ने, जिन्होंने परंपारिक फ़सल को छोड़कर विदेशी फल की खेती शुरू कर दी। आज उन्हें इस खेती से न सिर्फ़ अच्छी कमाई होती है, बल्कि गाँव के लोग उन्हें Kiwi Quee कहकर पुकारते हैं।

कीवी क्वीन सीता देवी Kiwi Queen Sita Devi

उत्तराखंड के टिहरी जिले में दुवाकोटी नामक एक छोटा-सा गाँव मौजूद है, जहाँ ज्यादातर लोग पारंपरिक खेती के तहत सब्जी और अनाज उगाते हैं। लेकिन इस गाँव में रहने वाली सीता देवी ने दूसरों से कुछ अलग करने का फ़ैसला किया और कीवी की खेती शुरू कर दी।शुरुआत में सीता देवी को कीवी की फ़सल उगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिसकी वज़ह से गाँव के लोग उनपर हँसते थे। यहाँ तक कई लोगों ने उन्हें पारंपरिक खेती छोड़कर कीवी की खेती करने पर ता ने भी मारे, लेकिन आखिरकार सीता देवी की मेहनत रंग ले आई।

एक आइडिया ने बदल दी जिंदगी

सीता देवी तीन साल पहले अपने खेतों में आलू, मटर और टमाटर जैसी सब्जियों की खेती करती थी, लेकिन इस काम में उन्हें काफ़ी नुक़ सान हुआ था। दरअसल जंगली जानवर और बंदर सब्जी की फ़सल खाकर उसे बर्बाद कर देते है, जिसकी वज़ह से सीता देवी ने सब्जी उगाना बंद कर दिया।लेकिन आजीविका चलाने के लिए उन्हें किसी न किसी खाद्य पदार्थ की खेती करना ज़रूरी था, इसी बीच सीता देवी को उद्यान विभाग द्वारा आयोजित कीवी प्रोत्साहन योजना के बारे में जानकारी मिली। इसके साथ ही सीता देवी को यह भी पता चला कि बंदर कीवी की फ़सल को नुक़ सान नहीं पहुँचाते हैं। इसके बाद सीता देवी कीवी की खेती के लिए अधिक जानकारी प्राप्त करने सीधा उद्यान विभाग के दफ्तर पहुँच गई, जहाँ उन्हें बागीचा तैयार करने और कीवी की फ़सल उगाने सम्बंधी सभी जानकारी मिल गई।

कीवी के बगीचे ने बदल दिया खेत

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सीता देवी ने कीवी की खेती के बारे में जानकारी लेने के बाद हिमाचल प्रदेश से इस फल को उगाने के लिए ट्रेनिंग भी ली, ताकि उनसे इस काम में किसी भी प्रकार की गलती न हो। इसके बाद सीता देवी ने ट्रेनिंग से लौटकर अपने खेतों में ऑर्गेनिक खाद का छिड़काव किया और कीवी गार्डन तैयार कर लिया।सीता देवी ने कीवी के पौधे खरीद कर उन्हें अपने बगीचे में लगाया, उनकी नियमित रूप से सिंचाई की और मिट्टी में पर्याप्त नमी हो इस बात का ख़ास ख़्याल रखा। इस तरह पहले ही सीजन में सीता देवी कीवी का फल उगाने में सफल रही, जिसके बाद उनका मनोबल कई गुना बढ़ गया।

लोगों ने मारे ताने, नहीं टूटने दिया हौंसले

हिमाचल प्रदेश से ट्रेनिंग लेकर वापस लौटने के बाद जब सीता देवी ने अपने खेतों में कीवी के पौधे बोने शुरू किए, तो उन्हें गाँव वालों के ता नों का सामना करना पड़ा। कई लोगों ने उन्हें कहा कि पहाड़ों पर ऐसी फ़सल पैदा होना असंभव है, इसलिए उनकी मेहनत खराब हो जाएगी।इसके साथ ही गाँव वालों ने उन्हें बंदरों द्वारा फ़सल को नुक़ सान पहुँचाए जाने का भी ड र दिखाया और कहा कि सब्जी उगाने वाली मिट्टी में विदेशी फल को उगाने की क्षमता नहीं होगी। सीता देवी को लोगों की बातों से ड र तो लग रहा था, लेकिन उन्होंने अपने हौंसले टूटने नहीं दिए।

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सीता देवी ने ट्रेनिंग में बताई गई हर बात का ध्यान रखा और प्रशिक्षण के हिसाब से कीवी के पौधों की खेती शुरू कर दी। उन्होंने मन में ठान ली थी कि वह गाँव वालों की बातों का जवाब कीवी की फ़सल उगा कर देगी और वह ऐसा करने में कामयाब भी हुई।

क्विंटल में हो रहा है कीवी का उत्पादन

उद्यान विभाग की सलाह और ट्रेनिंग के दम पर सीता देवी ने पहली बार में ही कीवी की सफल खेती करने में कामयाबी हासिल कर ली, जिसके बाद गाँव वालों का मुंह अपने आप बंद हो गया। बीते साल सीता देवी ने 1 क्विंटल कीवी का उत्पादन किया था, जिसे उन्होंने टिहरी जिले में बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमाया था।इस साल सीता देवी ने अपने बागीचे में कीवी के 33 नए पौधे लगाए हैं, जो साल के आख़िर तक अच्छी फ़सल तैयार कर देंगे। सीता देवी का मानना है कि बगीचे में सीमित मात्रा में कीवी के पौधे लगाने से उनकी देखभाल करना आसान होता है, जिससे पैदावार भी बेहतर होती है।सीता देवी इस बात पर ध्यान दे रही हैं कि आने वाले सालों में उनके द्वारा उगाई जा रही कीवी सिर्फ़ टिहरी जिले में ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के दूसरे जिलों में भी सल्पाई की जाए। इसलिए वह खेती के साथ-साथ कीवी की मार्केटिंग पर भी ध्यान दे रही हैं।

गांव के किसानों को सीखाए कीवी की खेती गुण

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गांव के जो लोग सीता देवी को कीवी की खेती करने के लिए ता ने मारते थे, आज वह सभी उनके हुनर और मेहनत की तारीफ करते नहीं थकते हैं। सीता देवी अपने गाँव के कई किसानों को कीवी की खेती करने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें ट्रेनिंग भी देती हैं।आपको जानकर हैरानी होगी कि उद्यान विभाग ने गाँव के 45 किसानों को कीवी के पौधे दिए थे, जिसमें से सिर्फ़ सीता देवी के पौधे ही जीवित रहे और उनसे फल की अच्छी पैदावार हुई। इस घटना के बाद सभी लोगों ने सीता देवी से कीवी की फ़सल उगाने और पौधा का ख़ास ख़्याल रखने के गुण सीखे।दुवाकोटी गाँव में कीवी की फ़सल की सिंचाई के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका परियोजना (NRLP) के तहत बगीचे में पानी के टैंक बनाए गए हैं, जिनमें 15, 000 लीटर पानी स्टोर करके रखा जा सकता है। इस टैंक में स्टोर पानी की मदद से ही सीता देवी समेत गाँव के अन्य किसान अपनी फसलों की सिंचाई करते हैं।

परिवार ने भी दिया सीता देवी का साथ

सीता देवी के लिए कीवी की फ़सल उगाना और उसकी देखभाल करना अकेले मुमकिन नहीं था, इसलिए इस काम में उनके परिवार ने भी उनकी मदद की। सीता देवी के पति पेशे से एक ड्राइवर हैं और मैक्स गाड़ी चलाकर पर सवारी और सामान लाने ले जाने का काम करते हैं।सीता देवी के दो बेटे हैं, जिनमें से एक बेटा ड्राइविंग करता है जबकि छोटा बेटा बारहवी पास करने के बाद कंप्यूटर कोर्स कर रहा है। सीता देवी के पति और बेटे समय-समय पर उनकी मदद के लिए बगीचे में आते हैं और सिंचाई व दूसरे कामों में उनका हाथ बंटाते हैं।दुवाकोटी गाँव में रहने वाली सीता देवी आज पूरे टिहरी जिले में कीवी क्वीन के नाम से पहचानी जाती हैं, जो उनके और उनके परिवार समेत गाँव वालों के लिए बहुत ही गर्व की बात है। ख़ुद सीता देवी को कीवी क्वीन का तमगा हासिल करने में बेहद ख़ुशी और गर्व का एहसास होता है।

पेश की आत्मनिर्भर बनने की मिसाल

दुवाकोटी गाँव में रहने वाली सीता देवी आज पूरे टिहरी जिले में कीवी क्वीन के नाम से पहचानी जाती हैं, जो उनके और उनके परिवार समेत गाँव वालों के लिए बहुत ही गर्व की बात है। ख़ुद सीता देवी को कीवी क्वीन का तमगा हासिल करने में बेहद ख़ुशी और गर्व का एहसास होता है।  पेश की आत्मनिर्भर बनने की मिसाल (Kiwi Queen Sita Devi)  सीता देवी (Kiwi Queen Sita Devi) आज जिस मुकाम पर खड़ी है, एक सामान्य महिला के लिए उस जगह तक पहुँच पाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। सीता देवी ने अपने मायके में बहुत ही मामूली पढ़ाई की थी, जिसके बाद 10वीं पास करने पर उनकी शादी हो गई।  हालांकि शादी के बाद भी सीता देवी का मन पढ़ाई लिखाई करने का था, लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों में वह अपने लिए समय ही नहीं निकल पाई। उन्होंने परिवार का ख़र्च चलाने के लिए सब्जियों की खेती की खेती की, लेकिन बंदरों ने उनकी फ़सल को बर्बाद कर दिया।  लेकिन इसके बावजूद भी सीता देवी ने हार नहीं मानी और एक विदेशी फल को नए वातावरण में उगा कर अच्छी पैदावार करने में कामयाब रहीं। आज उन्होंने डिग्री धारक कई युवाओं को पीछे छोड़कर कीवी की खेती कर आत्मनिर्भर बनने की मिसाल पेश की है।  यह ज़रूरी नहीं है कि एक महिला तभी सशक्त हो सकती है, जब उसके सभी संसाधन दिए जाए। बल्कि इस देश में सीता देवी (Kiwi Queen Sita Devi) जैसी महिलाएँ भी मौजूद हैं, जो बेटी, पत्नी, माँ और बहू होने के साथ-साथ एक सशक्त महिला होने का फ़र्ज़ बखूबी अदा कर रही हैं।

सीता देवी (Kiwi Queen Sita Devi) आज जिस मुकाम पर खड़ी है, एक सामान्य महिला के लिए उस जगह तक पहुँच पाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। सीता देवी ने अपने मायके में बहुत ही मामूली पढ़ाई की थी, जिसके बाद 10वीं पास करने पर उनकी शादी हो गई।हालांकि शादी के बाद भी सीता देवी का मन पढ़ाई लिखाई करने का था, लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों में वह अपने लिए समय ही नहीं निकल पाई। उन्होंने परिवार का ख़र्च चलाने के लिए सब्जियों की खेती की खेती की, लेकिन बंदरों ने उनकी फ़सल को बर्बाद कर दिया।लेकिन इसके बावजूद भी सीता देवी ने हार नहीं मानी और एक विदेशी फल को नए वातावरण में उगा कर अच्छी पैदावार करने में कामयाब रहीं। आज उन्होंने डिग्री धारक कई युवाओं को पीछे छोड़कर कीवी की खेती कर आत्मनिर्भर बनने की मिसाल पेश की है।

यह ज़रूरी नहीं है कि एक महिला तभी सशक्त हो सकती है, जब उसके सभी संसाधन दिए जाए। बल्कि इस देश में सीता देवी (Kiwi Queen Sita Devi) जैसी महिलाएँ भी मौजूद हैं, जो बेटी, पत्नी, माँ और बहू होने के साथ-साथ एक सशक्त महिला होने का फ़र्ज़ बखूबी अदा कर रही हैं।

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