मां ने फटी साड़ी में बांध रखे थे मेडल। झोपड़ी में रहने वाली का बेटा ले आया कॉमनवेल्थ से गोल्ड।

मां ने फटी साड़ी में बांध रखे थे मेडल। झोपड़ी में रहने वाली का बेटा ले आया कॉमनवेल्थ से गोल्ड।
कुछ लोग अपनी परिस्थितियों से जूझते हुए भी ऐसा मुकाम हासिल कर जाते हैं जिनसे उनकी जिंदगी में तो बदलाव होता ही है साथ ही वे पूरे देश का नाम रोशन कर जाते हैं। ऐसे ही एक युवा हैं बंगाल के रहने वाले हैं आचिंता सेरूली जो बेहद गरीब परिवार से आते हैं लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स से अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीत कर लाए है।

मां ने फटी साड़ी में बांध रखे थे मेडल।

गरीब परिवार से आने वाले अचिंता शेउली कोलकाता से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम में हावड़ा जिले के देउलपुर में एक झोपड़ी में अपनी मां और अपने बड़े भाई आलोक के साथ रहते हैं। जब कॉमनवेल्थ से 73 किलोग्राम कैटेगरी में वेटलिफ्टिंग कर गोल्ड जीतने वाले

अचिंता घर लौटे तो मां ने एक पुरानी साड़ी के टुकड़े में बांधी मेडल निकालकर टेबल पर रख दिया और बेटे से बोली, ” बेटा अब तो कोई बढ़िया अलमारी खरीद ले ताकि तुम्हारे जीते मेडल को मैं आने वाले पत्रकारों और फोटोग्राफर को दिखा सकूं।

12 साल की उम्र में हो गया था पिता का निधन।

जब शेउली मात्र 12 साल के थे तभी उनके पिता जगत शेउली का निधन सनस्ट्रोक की वजह से हो गया था। पिता के जाने के बाद अचिंता और उनके पूरे परिवार पर संकट के बादल छा गए थे उनकी मां पूर्णिमा ने बताया कि, उन्हें नहीं पता था कि उन्हें क्या करना है। वह एक मेड की तरह और साड़ी पर जरी का काम करके अपने बेटों का पेट भरा करती थीं। लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ जब उनके बेटों को भूखा तक सोना पड़ा।

साड़ी के कारखाने में की मजदूरी।

अचिंता और उनके भाई साड़ी के कारखाने में जरी का काम करते थे। इसके अलावा वे सामान उतारने चढ़ाने का भी काम करते थे। उन्होंने बताया कि उनकी इस सफलता में कोच आस्तम दास का काफी योगदान है।

उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और कोच को दिया है।

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