हौसला बुलंद हो तो रास्ते का पत्थर मायने नहीं रखती, गरीबी की मार खाते हुए UPSC में लाया 535 रैंक, बने आईएएस।


Nawada district ias Niranjan kumar success story,

हौसला बुलंद हो तो रास्ते का पत्थर मायने नहीं रखती। सफलता के रास्ते में चलते हुए जितने भी अड़चनें आ जाए अगर मन में सच्ची लगन और विश्वास हो तो मंजिल तक जरूर पहुंचा जा सकता है. नवादा जिले के रहने वाले निरंजन कुमार ने अपनी मेहनत और लगन से आईएस बन कर एक उदाहरण पेश किया है। निरंजन कुमार बिहार के नवादा जिला के रहने वाले हैं। शिक्षा प्राप्ति के दौरान निरंजन के जीवन में कई तरह की रैंक सामने आई जिसे निरंजन ने उस समस्या का समाधान निकालते हुए आगे बढ़ा और आज आईएएस ऑफिसर बन कर अपने परिवार वालों का नाम रोशन किया।

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निरंजन के पिता खैनी का दुकान चलाते हैं. इस दुकान से बहुत ज्यादा लाभ नहीं हो पाता. लगभग ₹5000 हर महीने आ जाते थे. इसी से पूरे परिवार का भरण पोषण होता था. लेकिन कोरोना काल में यह दुकान भी पूरी तरह से ऐसी बंद हुई कि दोबारा नहीं खुल सकी. उस दौरान पिता की तबियत भी मोसलसल खराब रहने लगी जिससे घर की आर्थिक स्थिति और भी चरमरा गई.ऐसी हालत में निरंजन के पढ़ाई के ऊपर काफी बधाएं आने लगी.लेकिन उनके परिवार वालों ने कभी भी हिम्मत ना हारे और निरंजन की पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया।

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निरंजन 2004 में जवाहर नवोदय विद्यालय रेवर नवादा से मैट्रिक तथा 2006 में साइंस कॉलेज पटना से इंटर पास किया. इसके बाद चार लाख का लोन लेकर इन्होंने IIT-ISM धनबाद से माइनिंग इंजीनियरिंग की डिग्री ली. निरंजन यूपीएससी परीक्षा के लिए पहली प्रयास 2017 में किया था जहां निरंजन को ऑल ओवर इंडिया 728 वां रैंक प्राप्त हुआ था. लेकिन वह इस रैंक से संतुष्ट नहीं थे. उन्हें उम्मीद था कि इससे भी बेहतर प्रयास कर सकते हैं. इसलिए निरंजन ने एक बार फिर से कोशिशों में लग गए और मेहनत करने लगे।

 3 साल के बाद निरंजन ने एक बार फिर से परीक्षा में बैठने का मन बनाया. साल 2020 में इन्होंने पिछले बार के मुकाबले काफी अच्छा सफलता हासिल किया. इस बार निरंजन को ऑल ओवर इंडिया रैंक में 535वां रैंक हासिल किया. जिससे आईएएस बनने का एक सुनहरा मौका प्रदान हुआ ।

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